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साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जांच में विभिन्न खामियां रहीं और इस तरह की दोषपूर्ण और त्रुटिपूर्ण जांच के दौरान इकट्ठा किए गए सबूतों के आधार पर 35 साल पुराने मामले में आरोपियों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इसलिए 30 आरोपियों को बरी किया जाता है। हालांकि आरोपी बनाए गए 49 आरोपियों में 19 की मामले की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है।
अदालत ने अपने 120 पृष्ठ के फैसले में कहा, कुछ मामलों में सरकारी गवाह जांच से जुड़े थे, लेकिन अदालत में उनसे जिरह नहीं की गई। निर्विवाद निष्कर्ष यह है कि इन मामलों में जांच दोषपूर्ण, एकतरफा, अनुचित और विभिन्न खामियों से पूर्ण थी। आरोपियों को इस तरह की दोषपूर्ण जांच के दौरान एकत्र किए गए सबूत के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
इन सभी तथ्यों के आधार पर अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ आरोपों को साबित करने में विफल रहा है और सुरजीत कौर, मनमोहन सिंह, गुरदेव सिंह, बूटा सिंह, कुलबीर सिंह उर्फ भोला, इंद्रजीत सिंह उर्फ हैप्पी, हरदीप सिंह, तीरथ सिंह, मुख्तियार सिंह, भूपिंदर सिंह उर्फ भिंडा, अरविंदर सिंह उर्फ नीटू, अनूप सिंह और मनजीत सिंह को बरी किया जाता है